Best Romantic Shayari Collection in Hindi and Urdu for Lovers

Best Romantic Shayari Collection in Hindi and Urdu for Lovers

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हर चीज़ मिल जाती थी बचपन मे रोने से,

जवानी क्या आयी तुम्हारे तो भाव ही बढ़ गए !!



मैंने तो देखा था बस एक नजर के खातिर…. क्या खबर थी की रग रग मे समां जाओगे तुम…..!!




कोई याद नहीं करता जब तक मैं खुद न करूँ याद, ऐसी हालत में कैसे कह दूँ कि मेरे अपने बहुत हैं !!





उनकी चाहत में हम कुछ यूँ बंधे हैं कि वो साथ भी नहीं और हम अकेले भी नहीं…!!




एक मैं था जो थक गया लफ्ज ढूंढकर,… “एक वो है जो खरीदे हुए गुलाब से इजहार कर गयी.”..!!



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कोशिश थी मेरी तुझमे समा जाने की, लेकिन तुमने तो मेरी परछाई को भी दूर कर दिया !!




ये दबदबा, ये हुकूमत, ये नशा, ये दौलतें और अंत में मोहब्बत… सब किरायेदार हैं घर बदलते रहते हैं !!




साहिब इज्जत हो तो इश्क़ जरा सोच कर करना ये इश्क अक्सर मुकाम ए जिल्लत पे ले जाता है !!




नाजुक लगते थे जो हसीन लोग… वास्ता पड़ा तो पत्थर के निकले…!!




रात भर जागता हूँ एक एसे सख्श की खातिर , जिसको दिन के उजाले मे भी मेरी याद नही आती !!




सुनो सनम कागज़ों पे लिख कर ज़ाया कर दूं, मै वो शख़्स नही.. वो शायर हुँ जिसे दिलों पे लिखने का हुनर आता है..!!




कुछ पाबन्दी भी लाजमी है जिंदगी में… किसी से इश्क़ हो तो हो बेपनाह ना हो…!!




सुन्दरता की प्रतिस्पर्धा अपने पुरे शबाब पे है, आज एक चाँद दूसरे चाँद के इंतज़ार में है..!!




उनकी चाल ही काफी थी इस दिल के होश उड़ाने के लिए, अब तो हद हो गई जब से वो पाँव में #पायल पहनने लगे…!!



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हमने लिया सिर्फ होंठों से जो तेरा नाम.. दिल होंठो से उलझ पड़ा कि ये सिर्फ मेरा है !!



छू जाती है वो मुझे ख्वाब बन कर.. कौन कहता है, कि दूर रहकर मुलाकात नहीं होती !!




जरूरते भी जरुरी है, जीने के लिये लेकिन, तुझसे जरूरी तो, जिंदगी भी नहीं !!




जब दर्द और कड़वी बोली, दोनों सहन होने लगे, तो समझ लेना की… जीना आ गया !!



कभी हमसे भी दो पल की…”मुलाकात” कर लीया करो, क्या पता आज “हम” तरस रहे हैं…कल “तुम” ढुढते फीरो !!




बहुत दिल से की थी परवाह तुम्हारी, पर ये न सोचा था मेरी चाहतो पर सवाल उठेगे !!




वह नमाजों की पाबन्द लड़की… चुन लिया था उसकी आँखों ने एक काफ़िर..!!




जरा कोई रास्ता तो बता दो… महोब्बत के सफर से लौट रहा हूं घर को..!!




टूट जायेगी तुम्हारी ज़िद की आदत उस दिन, जब पता चलेगा की याद करने वाला अब याद बन गया !!




“जान” थी वो मेरी, और जान तो एक दिन चली ही जाती है ना..!!




झुक के मिलते हैं जब बुजुर्गों से किसी के बच्चे,, महसूस हुआ फूल पर बाग की मिट्टी का असर आता है..!!




यूँ ही नहीं होती हाँथ की लकीरों के आगे उँगलियाँ, रब ने भी किस्मत से पहले मेहनत लिखी है !!




तेरी य़ादों के..दो मौसम हैं मेरे पास, एक शाम से पहले और एक शाम के बाद..!!




वो पत्ता आवारा न बनता तो क्या करता, न हवाओ ने बख्शा, न शाखों ने पनाह दी.. !!




हर रोज़ चुपके से निकल आते हैं , नए पत्ते, यादों के दरख्तों पर मैंने कभी पतझड़ नही देखा..!!




घर अंदर ही अंदर टूट जाते है… मकान खड़े रहते हैं बेशर्मो की तरह..!!